जावेद मियांदाद बोले- स्किल है मेरे पासा माशा अल्लाह, इमरान मेरे साथ होते तो मुल्क का यह हाल नहीं होता
जावेद मियांदाद बताते हैं कि इमरान खान और मैं बहुत क्लोज थे। 1975 से साथ में खेल रहे थे। काउंटी में भी साथ में खेले। फिर पाकिस्तान के लिए भी खेल रहे थे। हम दोनों एक ही काउंटी से खेले, ससेक्स काउंटी से, हम लोग छह महीने काउंटी में रहते थे। उठना बैठना, खाना- पीना भी सब साथ में था। छह महीने के काउंटी क्रिकेट में हम दोनों ट्रेवल करते थे, रूम भी साथ में शेयर करते थे। साथ में जाते थे। वे मुझसे उम्र में बड़े हैं।
मेरी बात पर खान साहब हो गये थे नाराज
छह महीने काउंटी में और छह महीने पाकिस्तान में रहते थे। आल द एराउंड रहते थे। दोस्ती थी, बस थोड़ी सी नाराजगी रहती थी। वो मैंने कह दिया था कि जिंदगी भर मांगते ही रहे तो किसी ने क्लिप चला दिया था कि मंगता-मंगता वाली बात कही है। खान साहब नाराज हो गये। वह सही है न कि जब से हमारे हालात ऐसे बने हैं हम हर जगह मांगते ही रहते हैं। यह स्टेटमेंट नहीं था।
एक फंड रेजिंग कार्यक्रम में बोल दिया था कि जो भी काम कर रहे हैं, मांग रहे हैं। हॉस्पिटल बना रहे हैं तो मांग रहे हैं। हर जगह मांग ही रहे हैं। लाजिम है कि हम तो मगर ऐसे ही कह दिये थे कोई हार्ट फीलिंग बात नहीं थी। हमारे रिलेशनशिप बहुत मजबूत थी। हम बहुत समय तक साथ रहे हैं। हमारे संबंध अच्छे थे। लेकिन प्रधानमंत्री बनने के बाद भी वह कुर्सी लगाकर दुनिया भर में मांग रहे हैं। खजाना खाली था।
जब वे प्रधानमंत्री बने तो मैं वहां था। और दूसरी भी चीजें हुई थीं। एक चीज थी, हम मिले और बाते हुईं और आपने थैंक्स शब्द भी नहीं कहा। जब वे प्राइम मिनिस्टर थे तब मैं वहां था, वे मिले और बातें हुईं। अगर खान साहब मेरी बात सुन लेते और मेरे साथ होते तो यह पोजीशन भी नहीं होती और मुल्क का यह हाल नहीं होता।
जावेद मियांदाद ने कहा कि स्किल है मेरे पासा माशा अल्लाह। हम लोग बेहद क्लोज थे। काउंटी में छह महीने साथ रहते थे। काउंटी में हम दोनों ओवरसीज प्लेयर थे। खान साहब में एक छोटी सी चीज है कि वे लोगों की सुन लेते हैं। उनको थोड़ी बड़प्पन दिखानी चाहिए थी। कोई भी चीज होती है या आप पालिटिक्स में आ जाते हैं तो आपको मात भी खानी पड़ती है। उसकी एबीसीडी भी तो देखें।