किक्रेट की जब भी चर्चा होती है तब 1983 के विश्व कप में भारत की शानदार जीत और उस जीत के हीरो बने भारतीय खिलाड़ियों के कप्तान कपिल देव की बातें जरूर होती हैं। कपिल देव ऑल राउंडर थे। वे अच्छी बैटिंग और तेज बालिंग दोनों करते थे।
छोटी से छोटी बातों पर भी बहुत सजग रहते थे
एक चैनल के कार्यक्रम में कपिल देव सुनील गावस्कर के बारे में बता रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि गावस्कर काफी प्रोफेशनल प्लेयर थे। अपने खेल में वे छोटी से छोटी बातों पर भी बहुत सजग रहते थे।
स्लो पिचेस पर सनी भाई ने तो कभी फास्ट बॉलर को प्रैक्टिस भी नहीं की
हमारे पास फास्ट बॉलर नहीं थे, हमारे स्लो पिचेस के ऊपर सनी भाई ने तो कभी फास्ट बॉलर को प्रैक्टिस भी नहीं की। आजकल तो मशीन भी है, मशीन में प्रैक्टिस कर लेते हो। हम यही सोचते थे कि इनकी सोच क्या है। हमारे लिए फर्स्ट प्रोफेशनल सुनील गावस्कर थे। उसके पहले सुना करते थे कि वीनू मांकड़ बहुत बड़े प्रोफेशनल थे, लेकिन उनकी बात और थी।
फोटो देते समय कैमरे की तरफ देखते ही नहीं थे सनी भाई
कपिल देव ने एक किस्सा सुनाया। कहा कि गावस्कर बहुत प्रोफेशनल खिलाड़ी हैं। उस जमाने में मोबाइल नहीं था। तब कैमरा था। कई बार लोग आते थे और गावस्कर के साथ एक फोटो लेने की जिद करते थे। गावस्कर भाई कैमरे की तरफ मुंह नहीं करते थे। मैंने कई बार उनसे कहा कि एक फोटो दे दीजिए लेकिन वे बोलते थे ‘फ्लैश मेक्स ब्लाइंड फार अ सेकेंड, आंखों पर ब्लाइंड होता था एंड इससे मेरी बैटिंग अफेक्ट होती थी।
कपिल ने कहा कि इतना सोचना कि कल बैटिंग करनी है और आज रात से एक फ्लैश से मेरे को अफेक्ट हो सकता है, हमें बाद में पता चला कि दैट्स काल प्रोफेशनलिज्म।
एक और किस्सा है। तब बहुत से लोग नाइट क्लब जाते थे, सनी भाई अंदर जाकर दो मिनट में निकल आए। मैंने पूछा तो बोले कि अंदर स्मोग बहुत है, मेरी आंखें अफेक्ट होंगी, क्रिकेट हम आंखों से खेलते हैं। इफ योर आईसाइट वीक यू आर टोटली गोन। जब ऐसी चीजें हमने सीखनी शुरू की तो हमें लगा कि ये डिफरेंट लेवल के क्रिकेटर हैं। तो ये मेरे लिए नहीं सब के लिए हीरो थे।