लोग मेरे मुंह पर दरवाजा बंद कर देते थे, मैं रोज आठ घंटे यही झेलता था- जब नाथन एलिस ने बयां किया था दर्द
नाथन एलिस आज नामी क्रिकेटर हैं। पंजाब किंंग्स के लिए आईपीएल (2023) खेल रहे हैं। काफी पैसा कमा रहे हैं। लेकिन, कभी वह मजदूरी करते थे। सेल्समैन का काम करते थे और इतना टूट चुके थे कि क्रिकेट छोड़ने तक का मन बना लिया था। जिस दिन उन्होंने क्रिकेट छोड़ने का फैसला किया, उसी दिन एक कॉल आई। उस कॉल के बाद एलिस की किस्मत बदलने लग गई।
सेल्समैन के रूप में परेशानियां और दुखों को सहा
जब एलिस सेल्समैन का काम करते थे, उन दिनों का दर्द भरा अनुभव बयां करते हुए उन्होंने कहा था- लोग मेरे मुंह पर दरवाजा बंद कर देते थे और यह वाजिब भी था। क्योंकि हम बेवक्त, बिना मतलब किसी के भी दरवाजे पर दस्तक दे देते थे। कोई बीमार होता था, कहीं बच्चे सो रहे होते थे। ऐसे में दरवाजा खोलने के बाद उनका झल्लाना और मेरे मुंह पर ही बंद कर देना गलत नहीं था। मैं आठ-आठ घंटे यही झेलता था।
दिन में मजदूरी करते थे, सुबह-शाम ट्रेनिंग लेते थे
एलिस ने मजदूरी भी की है। उन दिनों की याद करते हुए उन्होंने कहा था जब आपको हाई लेवल का क्रिकेट खेलना हो और आप किसी कंस्ट्रक्शन साइट पर मजदूरी करते हों तो फिर आपका शरीर क्रिकेट के लिए साथ नहीं देता। वह क्रिकेट तस्मानिया में ट्रेनिंग ले रहे थे तो उन्हें या तो सुबह काफी जल्दी या शाम को देर से ट्रेनिंग लेनी पड़ती थी, क्योंकि दिन में उन्हें मजदूरी करनी पड़ती थी।
उनका मालिक चाहता था कि वह शनिवार को भी मजदूरी करें। लेकिन, एलिस ने शनिवार का दिन क्रिकेट के नाम करने का फैसला किया।
एलिस ने क्रिकेट के लिए और भी बहुत कुछ त्याग किया है। उन्होंने अपना घर छोड़ा। वह मामा बने तो उस मौके पर वह अपने परिवार के साथ मौजूद नहीं थे। पिछले छह सालों में वह बहुत कम बार अपने घर सिडनी जा पाए हैं।
2019 में क्रिकेट छोड़ने का कर लिया था फैसला
बीते कुछ वर्षों से एलिस का क्रिकेट कॅरिअर सही चल रहा है। लेकिन, 2019 में एक वक्त ऐसा आया जब एलिस ने क्रिकेट छोड़ने का फैसला कर लिया था। दो साल तक कहीं से क्रिकेट खेलने का कोई मौका नहीं मिला था। ऐसे में उनका हौसला टूटने लगा था।
एलिस ने एक दिन तय कर लिया कि अब बैग पैक करके जिंदगी में कुछ और किया जाए। जिस दिन वह क्रिकेट को अलविदा कहने वाले थे, उसी दिन तस्मानिया के कोच का उनके पास फोन आया। उन्होंने प्री-सीजन क्रिकेट के लिए ट्रेनिंंग के लिए बुलाया। दो सीजन क्रिकेट खेलने के बाद उनके पास कुछ नहीं बचा। न पैसा, न किसी का सपोर्ट।
उन्होंने तय किया कि अब घर लौट कर कुछ और काम करेंगे। पर, कोच ने कहा- खुद को एक मौका और दो। उन्होंने बात मान ली। एक साल और देने का वादा किया। उसके बाद चीजें बदलने लगीं और फिर सारा दुख-तकलीफ अतीत की बात हो गई।