ईशान किशन आज नामी क्रिकेटर हैं, लेकिन स्कूल के दिनों में वह पढ़ाई को लेकर बेहद लापरवाह थे। सौ में दस नंबर लाते थे। साइंस में उन्हें तो बस तीन मार्क्स मिले थे। घर में तरह-तरह के बहाने बना नहीं पढ़ते थे और स्कूल में सजा का बहाना बना कर क्लास छोड़ प्रिंंसिपल ऑफिस के बाहर बैठ जाते थे।
हिंंदी की क्लास में ईशान को भयंकर नींद आती थी
हिंंदी की क्लास में ईशान को भयंकर नींद आती थी और जब हिंंदी के टीचर बीच में दो लाइन अंग्रेजी बोलने लगते थे तो नींद खुल जाती थी। इसकी वजह यह थी कि हिंंदी टीचर की अंग्रेजी ‘भयानक’ (ईशान के शब्दों में) होती थी। एक इंटरव्यू में यह कहते हुए ईशान ने बताया कि वह (हिंंदी टीचर) बोलते थे- you go where? ईशान कहते- sir, punishment. मैं जा रहा हूं यहां से। ईशान को इसमें बड़ा मजा आता था।
क्रिकेट का जुनून देख पिता ने दे दी थी खेलने की छूट
ईशान के भाई राज पढ़ाई में अच्छे थे। वह आज डॉक्टर हैं। जब उन्होंने क्रिकेट छोड़ा तो कोच ने उनके पिता से कहा था- खेल छोड़वा कर आप गलती कर रहे हैं, यह बहुत आगे जाएगा। इस पर पिता ने कहा था- एक ही बेटा है जो पढ़ने में ठीक है, दूसरा तो रोड पर है ही। ईशान का पढ़ाई में हाल और क्रिकेट में दिलचस्पी देख कर पिता ने हार मान ली थी और एक तरह से खेलने की छूट दे रखी थी।
अंग्रेजी के मामले में ईशान किशन ने अपने स्कूल के हिंंदी टीचर के साथ साथी क्रिकेटर, तेज गेंदबाज मोनू सिंंह का भी जिक्र किया। मोनू सिंंह अंग्रेजी सही से नहीं बोल पाते। ईशान ने कहा- वह जोड़-तोड़ कर कुछ बोलने की कोशिश करते हैं और अपनी कही बात पर खुद ही हंसने लगते हैं।
एक बार ईशान ने मोनू सिंंह से कहा- अंग्रेजी में बात किया करो। उन्होंंने पांच मिनट तक कोशिश की, फिर गाली देकर छोड़ दी। उस पांच मिनट में भी बस दो शब्द बोले- so, lunchtime.